लोन मोराटोरियम अवधि में ब्याज पर ब्याज की छूट नहीं मिलनी चाहिए, केंद्र को ऐसी सिफारिश कर सकती है एक्सपर्ट कमेटी

लोन मोराटोरियम की अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज की छूट की राह देख रहे कर्जदारों को झटका लग सकता है। केंद्र सरकार की ओर से गठित राजीव महर्षि की अध्यक्षता वाली एक्सपर्ट कमेटी ब्याज पर ब्याज की छूट न देने की सिफारिश कर सकती है। सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

10 सितंबर को किया गया था कमेटी का गठन

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने 10 सितंबर को महर्षि कमेटी का गठन किया था। मोराटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज की छूट और कर्जदारों की क्रेडिट को डाउनग्रेड नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने ब्याज पर ब्याज की छूट की संभावना तलाशने के लिए ही कमेटी गठित करने का आदेश दिया था। इस मामले से वाकिफ सूत्रों के मुताबिक, ब्याज पर ब्याज की राशि 10 से 20 हजार करोड़ रुपए की रेंज में हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले में अहम भूमिका निभाएगी कमेटी की सिफारिश

इस कमेटी में अध्यक्षता कर रहे राजीव महर्षि पूर्व सीएजी हैं। इसके अलावा आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर रविंद्र एच ढोलकिया और एसबीआई-आईडीबीआई बैंक के पूर्व एमडी बी. श्रीराम भी इस कमेटी में शामिल हैं। इस कमेटी की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के फैसले में अहम भूमिका निभाएगी। कमेटी को गठन के एक सप्ताह के भीतर अपनी सिफारिशें सौंपनी थीं।

28 सितंबर को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में आरबीआई को निर्देश दिया था कि अगले आदेश तक लोन नहीं चुकाने वालों को डिफॉल्ट नहीं किया जाए। साथ ही केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर ठोस फैसला लेने को कहा था। इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लोन मोराटोरियम की अवधि को दो साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी। इस दिन लोन मोराटोरियम की अवधि बढ़ाने और ब्याज पर ब्याज की छूट को लेकर फैसला आ सकता है।

31 अगस्त को खत्म हुई है लोन मोराटोरियम की सुविधा

कोरोना संक्रमण के आर्थिक असर को देखते हुए आरबीआई ने मार्च में तीन महीने के लिए मोराटोरियम सुविधा दी थी। यह सुविधा 1 मार्च से 31 मई तक तीन महीने के लिए लागू की गई थी। बाद में आरबीआई ने इसे तीन महीनों के लिए और बढ़ाते हुए 31 अगस्त तक के लिए कर दिया था। यानी कुल 6 महीने की मोराटोरियम सुविधा दी गई है। 31 अगस्त को यह सुविधा खत्म हो गई है।

क्या है मोराटोरियम?

जब किसी प्राकृतिक या अन्य आपदा के कारण कर्ज लेने वालों की वित्तीय हालत खराब हो जाती है तो कर्ज देने वालों की ओर से भुगतान में कुछ समय के लिए मोहलत दी जाती है। कोरोना संकट के कारण देश में भी लॉकडाउन लगाया गया था। इस कारण बड़ी संख्या में लोगों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया था। इस संकट से निपटने के लिए आरबीआई ने 6 महीने के मोराटोरियम की सुविधा दी थी। इस अवधि के दौरान सभी प्रकार के लोन लेने वालों को किस्त का भुगतान करने की मोहलत मिल गई थी।

वन टाइम लोन रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम लेकर आया है आरबीआई

मोराटोरियम खत्म होने की सूरत में कर्ज लेने वालों की समस्या को दूर करने के लिए आरबीआई वन टाइम लोन रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम लेकर आया है। आरबीआई के मुताबिक, कॉरपोरेट घरानों के अलावा इंडिविजुअल को भी इस स्कीम का फायदा मिलेगा। कंज्यूमर लोन, एजुकेशन लोन, हाउसिंग लोन, शेयर मार्केट-डिबेंचर खरीदने के लिए लिया गया लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स खरीदने के लिए लिया गया लोन, क्रेडिट कार्ड लोन, ऑटो लोन (कमर्शियल व्हीकल लोन छोड़कर), गोल्ड, ज्वैलरी, एफडी के बदले लिया गया लोन, पर्सनल लोन टू प्रोफेशनल्स और अन्य किसी काम के लिए लिए गए पर्सनल लोन पर भी रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम का फायदा लिया जा सकता है।

लोन रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम में मिल सकते हैं यह विकल्प

  • बैंक इंडिविजुअल बॉरोअर को पेमेंट री-शेड्यूल की सुविधा दे सकते हैं।
  • ब्याज को क्रेडिट सुविधा के रूप में अलग किया जा सकता है।
  • इनकम को देखते हुए बैंक व्यक्तिगत तौर पर मोराटोरियम की सुविधा दे सकते हैं। हालांकि, यह दो साल से ज्यादा अवधि के लिए नहीं होगी।
  • ईएमआई कम करने के लिए लोन की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
  • अगर मोराटोरियम विकल्प पर सहमति होती है तो रेजोल्यूशन प्लान पूरा होते ही यह लागू हो जाएगा।


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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लोन मोराटोरियम की अवधि को दो साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।


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