इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड अमेंडमेंट बिल राज्यसभा से पास, कंपनियों को 6 महीने तक दिवालिया प्रक्रिया से मोहलत मिलेगी

राज्यसभा ने शनिवार को इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (सेकेंड अमेंडमेंट) बिल 2020 को पास कर दिया। इस बिल के पास होने के साथ ही इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड से जुड़े कानूनों में बदलाव हो गया है। इन बदलावों के तहत 25 मार्च से 6 महीने तक कंपनियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की नई दिवालिया प्रक्रिया शुरू नहीं होगी। कोरोनावायरस महामारी के कारण केंद्र सरकार ने 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी।

भुगतान में डिफॉल्ट के कारण दिवालिया प्रक्रिया से मिलेगी राहत

बिल पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड में बदलाव की मकसद कंपनियों को बर्बाद होने से रोकना है। नए बिल के मुताबिक, 25 मार्च के बाद भुगतान में डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों के खिलाफ कम से कम 6 महीने तक दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने पर विचार नहीं हो सकता है। इस बिल को 15 सितंबर को राज्यसभा में पेश किया गया था।

ऑर्डिनेंस की जगह लेगा नया बिल

डाटा का हवाला देते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि लोक अदालत के मुकाबले इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड में वसूली का अनुपात 42.5 फीसदी ज्यादा है। केंद्र सरकार ने कंपनियों को डिफॉल्ट होने पर दिवालिया प्रक्रिया से बचाने के लिए इसी साल जून में इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (अमेडमेंट) ऑर्डिनेंस 2020 जारी किया था। इस ऑर्डिनेंस को स्थायी करने के लिए यह बिल लाया गया है। यह बिल जून में जारी किए गए ऑर्डिनेंस की जगह लेगा।

बैंकिंग रेगुलेशन अमेंडमेंट बिल लोकसभा से पास

इससे पहले बुधवार को बैंकिंग रेगुलेशन (अमेंडमेंट) बिल-2020 लोकसभा में पारित हो गया। इस विधेयक में कोऑपरेटिव बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की निगरानी में लाने का प्रस्ताव रखा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोऑपरेटिव बैंकों के गवर्नेंस में सुधार करने और जमाकर्ताओं के पैसे की सुरक्षा के लिए यह विधेयक लाया गया है। इस बिल को लोकसभा में पेश करते हुए सीतारमण ने कहा था कि सरकार को लॉकडाउन के दौरान अध्यादेश लाना पड़ा था, क्योंकि कोऑपरेटिव बैंकों की हालत बहुत खराब थी।



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राज्यसभा में चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि लोक अदालत के मुकाबले इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड में वसूली का अनुपात 42.5 फीसदी ज्यादा है।


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